ऐसी होली खेलो,लाल!
ले
खक-पांडेय बेचन शर्मा "उग्र"
बूढ़ी काकी
लेखक-प्रेमचंद
धरती अब भी घूम रही है
लेखक-विष्णु प्रभाकर
घीसा
लेखिका-महादेवी वर्मा
इनसान बनकर आ रहा सवेरा है
कवि-गिरिजा कुमार माथुर
लक्ष्मी का वाहन
लेखक-रांगेय राघव
मौन निमंत्रण
कवि-सुमित्रानंदन पंत
ओ नभ में मँडराते बादल
कवि-रामेश्वर शुक्ल "अंचल"
दोहा-एकादश
कवि-अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना (रहीम)
पाजेब
लेखक-जैनेन्द्र
सूर के पद
कवि-सूरदास
कवयित्री-महादेवी वर्मा
जीवन का झरना
कवि-आरसी प्रसाद सिंह
सच्ची मित्रता
कवि-तुलसीदास
सावन
कवि - सुमित्रानन्दन पंत
सम्मिलित
कवि - सियारामशरण गुप्त
निर्माण
कवि - हरिवंशराय बच्चन
स्वदेश प्रेम
कवि - रामनरेश त्रिपाठी
हिमालय
कवि - रामधारी सिंह ’दिनकर’
कर्मवीर
कवि - अयोध्यासिंह उपाध्याय ’हरिऔध’
मानवता
कवि - मैथिलीशरण गुप्त
मैं हूँ उनके साथ
कवि - हरिवंशराय बच्चन
साखी
कवि - कबीरदास
भारत-महिमा
जयशंकर प्रसाद
हल्दीघाटी
कवि - सोहनलाल द्विवेदी
राम-सुग्रीव-मैत्री
कवि-तुलसीदास
अरुण यह मधुमय देश हमारा
कवि-जयशंकर प्रसाद
फिर क्या होगा उसके बाद
कवि-बालकृष्ण राव
मानवता
कवि-मैथिलीशरण गुप्त
मनुष्य और सर्प
कवि-रामधारी सिंह दिनकर
भारत महिमा
कवि-जयशंकर प्रसाद
विनय और भक्ति
कवि-सूरदास
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें