मंगलवार, 19 जनवरी 2016

ICSE - 2016 हिन्दी सुझाव-पत्र


आगामी ICSE-2016 हिन्दी परीक्षा को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव-पत्र तैयार किया गया है। इस सुझाव-पत्र को तैयार करने में द हेरिटेज स्कूल के वरिष्ठ हिन्दी शिक्षक सौमित्र आनंद और निशा मिश्रा ने सहयोग किया है। यह सुझाव-पत्र ICSE काउंसिल के हिन्दी प्रश्न-पत्र के प्रारूप और पिछले दस वर्षों के प्रश्न-पत्र को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में पाठ्य पुस्तक काव्य चंद्रिका, गद्‌य संकलन, हिन्दी व्याकरण पल्लव तथा ICSE Self Study in Hindi का उपयोग किया गया है। इस सुझाव प्रश्न-पत्र में व्याकरण के अतिरिक्त गद्‌य संकलन और काव्य चंद्रिका पुस्तक से पाँच-पाँच पाठों का चयन किया गया है। हम यह दावा नहीं करते हैं कि हिन्दी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्‌यार्थी केवल इन्हीं पाठों को तैयार कर निश्चिन्त हो जाएँ बल्कि हमारा सुझाव यह है कि वे गहन अध्ययन करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।

 










आगामी ISC-2016 हिन्दी परीक्षा को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव-पत्र तैयार किया गया है। इस सुझाव-पत्र को तैयार करने में द हेरिटेज स्कूल के वरिष्ठ हिन्दी शिक्षक सौमित्र आनंद और धर्मनाथ दुबे ने सहयोग किया है। यह सुझाव-पत्र ISC काउंसिल के हिन्दी प्रश्न-पत्र के प्रारूप और पिछले दस वर्षों के प्रश्न-पत्र को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में पाठ्य पुस्तक काव्य तरंग, कथा सुरभि, निर्मला, ज्वालामुखी के फूल और व्याकरण मंजूषा का उपयोग किया गया है। हम यह दावा नहीं करते हैं कि हिन्दी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्‌यार्थी केवल इन्हीं पाठों को तैयार कर निश्चिन्त हो जाएँ बल्कि हमारा सुझाव यह है कि वे गहन अध्ययन करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।



 
 

बुधवार, 1 जुलाई 2015


"इंतज़ार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं" - ए०पी०जे० अब्दुल कलाम

शनिवार, 3 जनवरी 2015



हर बच्चा खास है ’ जब हम बच्चों पर सबसे आगे जाने का दबाव बनाते हैं तो उसके दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि चाहे जो हो मुझे सबको पछाड़ना है। सबसे आगे जाने की जिद उसे स्वार्थी बना देती है और वह सिर्फ़ अपने बारे में सोचने लगता है।...हमें बच्चों पर अनावश्यक प्रतियोगिता थोपने के बजाए उन्हें अच्छा इनसान बनने की प्रेरणा देनी चाहिए। मेरी ख्वाहिश है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो कि बच्चे बड़े होकर सम्मान की ज़िन्दगी जी सकें। वे ज़िम्मेदार नागरिक बनें और वे सिर्फ़ अपने बारे में नहीं, बल्कि पूरे समाज के बारे में सोचें।...शिक्षा वह ज्ञान है, जो हमें सवाल पूछने की हिम्मत, चुनौतियों से निपटने का ज़ज़्बा और नई चीज़ों को खोजने की प्रेरणा देता है।’

-फ़िल्म "तारे ज़मीन पर" के निर्देशक-अभिनेता आमिर खान