हल्दीघाटी
कवि - सोहनलाल द्विवेदी
22 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कानपुर के पास बिंदकी नामक स्थान पर जन्मे सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत् की अमूल्य निधि हैं। आपने हिन्दी में एम.ए. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में आपका स्थान महत्त्वपूर्ण है। महात्मा गांधी पर आपने कई भावपूर्ण रचनाएँ लिखी हैं, जो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं।
सन् 1938 से 1942 तक आपने दैनिक राष्ट्रीय पत्र " अधिकार" का लखनऊ से सम्पादन किया।
“गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने 76 सत्याग्रही कार्य कर्त्ताओं के साथ साबरमती आश्रम से 200 मील दूर दांडी मार्च किया था। उस यात्रा पर अंग्रेजी सत्ता को ललकारते हुए सोहनलाल जी ने कहा था -”या तो भारत होगा स्वतंत्र, कुछ दिवस रात के प्रहरों पर या शव बनकर लहरेगा शरीर, मेरा समुद्र की लहरों पर, हे शहीद, उठने दे अपना फूलों भरा जनाजा।”
आपकी रचनाएँ ओजपूर्ण एवं राष्ट्रीयता की परिचायक है। गांधीवाद को अभिव्यक्ति देने के लिए आपने युगावतार, गांधी, खादी गीत, गाँवों में किसान, दांडीयात्रा, त्रिपुरी कांग्रेस, बढ़ो अभय जय जय जय, राष्ट्रीय निशान आदि शीर्ष से लोकप्रिय रचनाओं का सृजन किया है।
आपके द्वारा लिखीं गई शिशुभारती, बच्चों के बापू, बिगुल, बाँसुरी और झरना, दूध बतासा जैसी दर्जनों रचनाएँ बच्चों को आकर्षित करती हैं।
प्रमुख रचनाएँ : भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, प्रभाती, युगाधार, कुणाल, चेतना, बाँसुरी, तथा बच्चों के लिए दूधबतासा।
शब्दार्थ
बैरागन - संन्यासिनी
बीहड़ वन - सुनसान जंगल
उदभ्रांत - विकल, पागल
नीरव - शांत
लवलीन - मगन
निहाल - धन्य
रणगान - युद्ध का गीत
बाँकुरे - वीर
आतुर - उतावले
उमंग - जोश
प्रश्नोत्तर
१.भारतीय इतिहास में हल्दीघाटी क्यों प्रसिद्ध है? कवि ने हल्दीघाटी का गुणगान किन शब्दों में किया है?
२.माई का लाल किसे कहा गया है? संक्षिप्त परिचय देते हुए कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
मौन निमंत्रण
इलाहाबाद में वे कचहरी के पास प्रकृति सौंदर्य से सजे हुए एक सरकारी बंगले में रहते थे। उन्होंने इलाहाबाद आकाशवाणी के शुरुआती दिनों में सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। उन्हें मधुमेह हो गया था। उनकी मृत्यु २८ दिसंबर १९७७ को हुई।
पंत जी प्रकृति और सौन्दर्य के कवि हैं। पंत जी पर मार्क्सवाद और अरविन्द के दार्शनिक विचारों का भी प्रभाव पड़ा।
पंत जी की भाषा अत्यंत सहज तथा भावप्रधान है जिसमें संस्कृत के शब्दों की अधिकता है।
प्रमुख रचनाएँ - वीणा, पल्लव, ग्रन्थि, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण-किरण, युगपथ, उत्तरा,कला और बूढ़ा चाँद( साहित्य अकादमी), चिदंबरा (ज्ञानपीठ पुरस्कार) आदि।
शब्दार्थ
ज्योत्स्ना - चाँदनी
नक्षत्र - तारों का समूह
तमसाकार - अंधकार के रूप में
प्रखर - तेज
तड़ित - बिजली
वसुधा - पृथ्वी
मृदु - कोमल
उद्गार - मन के भाव
क्षुब्ध - उत्तेजित
वात - हवा
श्री - शोभा
बोर - डुबाना
अलस पलक - आलस्य से भरी पलकें
तुमुल - घनघोर गर्जन
मधुपों - भौरों
गुरुतर - भारी
श्रमित - मेहनत से थका हुआ
सहचर - साथी
अहे - अरे
प्रश्नोत्तर
१.कवि को प्रकृति के किन उपादनों और गतिविधियों में किसका आमंत्रण
सुनाई देता है। समझाकर लिखिए।
तूफ़ानों की ओर
शिवमंगल सिंह 'सुमन (जन्म: १९१६ - मृत्यु: २००२) हिन्दी के शीर्ष कवियों में थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा भी वहीं हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से बी॰ए॰ और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ , डी॰लिट् की उपाधियाँ प्राप्त कर ग्वालियर, इन्दौर और उज्जैन में उन्होंने अध्यापन कार्य किया। वे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति भी रहे।
उन्हें सन् १९९९ में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। 'सुमन' जी ने छात्र जीवन से ही काव्य रचना प्रारम्भ कर दी थी और वे लोकप्रिय हो चले थे। उन पर साम्यवाद का प्रभाव है, इसलिए वे वर्गहीन समाज की कामना करते हैं। पूँजीपति शोषण के प्रति उनके मन में तीव्र आक्रोश है। उनमें राष्ट्रीयता और देशप्रेम का स्वर भी मिलता है।
इनकी भाषा में तत्सम शब्दों के साथ-साथ अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों की भी प्रचुरता है।
प्रमुख रचनाएँ - हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय सृजन, मिट्टी की बारात, विश्वास बढ़ता ही गया, पर आँखें नहीं भरी आदि।
शब्दार्थ
विष - ज़हर
पतवार - चप्पू
अंधड़ - आँधी
माँझी - नाविक
स्पंदन - धड़कन
प्रश्न-
ओ नभ में मँडराते बादल
जन्म - १ मई १९१५ को किशनपुर, फतेहपुर, उ.प्र.
में।
कार्यक्षेत्र : १९४५ में जबलपुर के राबर्टसन
कालेज में अध्यापन की शुरुआत। मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के पूर्व आचार्य।
जबलपुर विश्वविद्यालय एवं रायपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष।
जबलपुर विश्वविद्यालय एवं रायपुर विश्वविद्यालय के कला विभाग के पूर्व डीन। मध्य
प्रदेश भाषा अनुसंधान संस्था के पूर्व निदेशक। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वर्तमान
सभापति। कवि व कथाकार के रूप में विख्यात।
इन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि समस्त साहित्यिक विधाओं में लेखन-कार्य किया है।
इनकी रचनाओं में जीवन की अनुभूति, यथार्थ तथा भौतिकता के दर्शन होते हैं। अंचल जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की दयनीय दशा का मार्मिक किन्तु यथार्थपरक चित्रण किया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में शोषित-वर्ग के कष्टमय जीवन को शब्दों के द्वारा उकेरने का सफल प्रयास किया है।
अंचल जी की भाषा सहज, भावपूर्ण तथा ग्राह्य है।
प्रमुख रचनाएँ -
काँटे मत बोओ
पावस गान
फिर तुम्हारे द्वार पर
मत टूटो
ले चलो नौका अतल में
मधूलिका
अपराजिता
किरण-बेला
लाल चूनर
विराम चिह्न
अनुपूर्वा
यायावरी
शब्दार्थ
बिसरी - भूली हुई
पुरवा - पूर्व दिशा से बहने वाली हवा
आतुरता - व्याकुलता
उमगा - जगा
कज्जल - काजल के समान
धूम शिखा - घुएँ की रेखा
प्रखर पिपासा - तेज प्यास
आतप - तपते हुए
दग्ध - जलते हुए
कगार - किनारा
पावस - वर्षा
उन्मादक - पागल बना देने वाला
निदाघ - गर्मी
हेर रहे - देख रहे
बान - आदत
प्रश्न
"ओ नभ में मँडराते बादल" कविता का प्रतिपाद्य लिखते हुए बताइए कि वर्षा के अभाव में मानव-जीवन को तथा प्रकृति को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है ?
इनसान बनकर आ रहा सवेरा है
वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और १९४१ में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने निराला से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन १९४३ में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। उनके द्वारा रचित मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, पृथ्वीकल्प, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।[2]
१९९१ में आपको कविता-संग्रह "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य-यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
गिरिजा कुमार माथुर ने सहज खड़ी बोली का साहित्यिक प्रयोग किया।
शब्दार्थ
बिराने - बेगाने
अर्ध - आधा
वर्तिका - बाती
वनखंड - वन प्रदेश, जंगल
झंझापथ - तूफ़ान का रास्ता
पद - पैर
मद्धिम - मन्द
प्रश्न-
"इनसान बनकर आ रहा सवेरा है" कविता के माध्यम से कवि ने मानव के लिए क्या संदेश संप्रेषित किया है ? समझाकर लिखिए।
सच्ची मित्रता
कवि - तुलसीदास
कवि परिचय
हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। तुलसीदास के जन्म और मृत्यु के विषय में विद्वानों में
मतभेद है। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िले के राजापुर नामक गाँव में सन् 1532 में हुआ था।
गुरु नरहरिदास इनके गुरु थे। तुलसीदास ने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने राम कथा पर आधारित विश्व-प्रसिद्ध महाकाव्य " रामचरितमानस" की रचना की। तुलसीदास राम के अनन्य भक्त थे।
तुलसीदास ने ब्रज और अवधि दोनों भाषा में समान रूप से लिखा। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के द्वारा आदर्श समाज की स्थापना पर जोर दिया जिसमें न्याय, धर्म, सहानुभूति, प्रेम और दया जैसे मानवीय गुणों पर विशेष ध्यान दिया है।
प्रमुख रचनाएँ - गीतावली, कवितावली, दोहावली, पार्वती मंगल, हनुमान बाहुक आदि।
शब्दार्थ
जे - जो
दुखारी - दुखी
तिन्हहि - उन्हें
बिलोकत - देखने से
मेरु - सुमेरु ( एक बड़ा पर्वत)
असि - ऐसी
सठ - मूर्ख
दुरावा - छुपाना
धरई - रखना, धारण करना
अनहित - बुराई
अहि - साँप
नृप - राजा
कुनारी - बुरी स्त्री
सूल - काँटा
कपटी - धोखेबाज
प्रश्न
१."सच्ची मित्रता" कविता के आधार पर अच्छे और बुरे मित्र के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
मैं हूँ उनके साथ
कवि - हरिवंशराय बच्चन
कवि परिचय
बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के नज़दीक प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनको बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है । उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी. पूरी की।
१९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय १४ वर्ष की थी । लेकिन १९३६ में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई । पांच साल बाद १९४१ में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं । इसी समय उन्होंने नीड़ का पुनर्निर्माण जैसे कविताओं की रचना की ।
प्रमुख रचनाएँ -
मधुशाला (1935)
मधुबाला (1936)
मधुकलश (1937)
निशा निमंत्रण (1938)
एकांत संगीत (1939)
आकुल अंतर (1943)
सतरंगिनी (1945)
हलाहल (1946)
बंगाल का काव्य (1946)
खादी के फूल (1948)
सूत की माला (1948)
शब्दार्थ
तजना - छोड़ना, त्यागना
नवाकर - झुकाकर
उद्गार - मन के विचार
जिह्वा - जीभ
आततायियों - अत्याचारियों
शमशीर - तलवार
बेड़ी - जंजीर
लूका- मशाल
उदधि - समुद्र, सागर
तीर - किनारा
प्रश्न
१."मैं हूँ उनके साथ" कविता में कवि किन मनुष्यों के साथ खड़ा रहना चाहता है और क्यों ?समझाकर लिखिए।
साखी
कवि-कबीरदास
कवि-परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" हिन्दी साहित्य के छायावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्हें बंगला, अंग्रेजी, संस्कृत और हिन्दी का अच्छा ज्ञान था। इनकी रचनाओं में मजदूर तथा पीड़ित वर्ग के संघर्ष का व्यापक तथा यथार्थ चित्रण किया गया है तथा शोषक-वर्ग के प्रति विद्रोह का स्वर मुखर किया। निराला ने मुक्त छंद की शुरुआत की।
1922 में "समन्वय" तथा 1923-24 में "मतवाला" का संपादन किया।
इनकी कविताओं में मानवीय-मूल्यों की अभिव्यक्ति हुई है।
इनकी भाषा सहज, प्रभावमयी, ओजपूर्ण है जिसमें संस्कृत के शब्दों का व्यापक प्रयोग किया गया है।
प्रमुख रचनाएँ - जूही की कली, परिमल, गीतिका, अनामिका, राम की शक्ति पूजा, अपरा, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अप्सरा, नए पत्ते, अलका, भिक्षुक आदि।
शब्दार्थ
मृत्युलोक - पृथ्वी
पुण्यश्लोक - जिसका जीवन पवित्र और शिक्षाप्रद हो
विवाद - बहस
प्रदक्षिणा करना - चक्कर लगाना
धृत लक्ष्य - लक्ष्य को धारण करके
योगिराज - महान योगी, तपस्वी
बैकुंठ - स्वर्ग लोक
इष्ट - चाहा हुआ, प्रिय, पूजित
प्रश्न
१.जीवन की सफलता कर्म में निहित है-"प्रियतम" कविता के आधार पर स्पष्ट करते हुए प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
२."प्रियतम" कविता का प्रतिपाद्य लिखते हुए कविता का संदेश लिखिए।
भारत महिमा
कवि - जयशंकर प्रसाद
विश्वराज्य
कवि - मैथिलीशरण गुप्त
कवि-परिचय
हिन्दी साहित्य के प्रखर नक्षत्र मैथिलीशरण गुप्त का जन्म ३ अगस्त सन १८८६ ई. में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता कौशिल्या बाई की तीसरी संतान के रुप में चिरगांव, झांसी में हुआ। इनके पिता सेठ रामचरण कवि थे। इनकी आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने संस्कृत, हिन्दी और बंगला के साहित्य का अध्ययन किया।
श्री पं महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया।
वे राष्ट्रपिता गांधी जी के निकट सम्पर्क में आये। 'यशोधरा' सन् १९३२ ई. में लिखी। गांधी जी ने उन्हें "राष्टकवि" की संज्ञा प्रदान की। सन् १९४१ ई. में व्यक्तिगत सत्याग्रह के अंतर्गत जेल गये। आगरा विश्वविद्यालय से उन्हें डी.लिट. से सम्मानित किया गया। १९५२-१९६४ तक राज्य सभा के सदस्य मनोनीत हुये। सन् १९५३ ई. में भारत सरकार ने उन्हें "पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। दिसम्बर,१९६४ में इनका निधन हो गया।
गुप जी मूलत: भारतीय संस्कृति के कवि हैं। भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल आदर्श और काव्य परम्पराएँ ही गुप्त जी के काव्य की विशेषताएँ हैं।
प्रमुख रचनाएँ - जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, जय भारत, साकेत, कुणाल, यशोधरा, मेघनाथ वध
कठिन शब्दार्थ
विस्तार - फैलाव
अनल - आग
सलिल - पानी
अनिल संचार - वायु का बहना
व्योम - आकाश
सोम - चन्द्रमा
अगणित - असंख्य
ठौर - जगह
समशीतोष्ण - एक समान ठंडा और गर्म
विग्रह - अलग करना
परिहार - बचाव, समाधान
परित्राण - रक्षा
क्षत - घाव
प्रश्नोत्तर
१.’विश्वराज्य’ कविता में कवि ने पाठकों को क्या संदेश दिया है? स्पष्ट कीजिए।
२.’विश्वराज्य’ कविता के आधार पर बताइए कि संसार में फैले हुए मतभेदों का क्या कारण है और इसका उपाय कैसे किया जा सकता है?
३.विश्वराज्य और लोकतंत्र का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कविता का सारांश लिखिए।
सुमन के प्रति
कवयित्री - महादेवी वर्मा
कवयित्री परिचय
महादेवी वर्मा प्रमुख छायावादी कवयित्री हैं जिन्होंने कविता और गद्य साहित्य दोनों क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा से यश अर्जित किया। प्रयाग विश्वविद्यालय से इन्होंने संस्कृत में एम.ए.किया। इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में आचार्या के पर पर लम्बे समय तक कार्य किया। इन्हें पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित भी किया गया है।
महादेवी जी की कविताओं में रहस्यवाद की झलक भी मिलती है। महादेवी जी के गीतों में विरह-वेदना और करुणा की अभिव्यक्ति हुई है। इनका काव्य प्रेम का काव्य है। महादेवी को आधुनिक युग का मीरा भी कहा जाता है।
प्रमुख रचनाएँ - नीहार, रश्मि, दीपशिखा, यामा ( काव्य ) पथ के साथी, मेरा परिवार, अतीत के चलचित्र(गद्य)
शब्दार्थ
शैशव - बचपन
अंक - गोद
मंजुल - सुन्दर
लुब्ध - ललचाया हुआ
स्निग्ध - कोमल
मधुप - भँवरा
मुख मंजु - चेहरे की सुन्दरता
करतार - ईश्वर
निस्सार - महत्त्वहीन
प्रश्न
१."सुमन के प्रति" किसकी रचना है? कविता में विकसित फूल और मुरझाए फूल में क्या अंतर दिखाया गया है? फूल के माध्यम से क्या भाव व्यक्त किया गया है?
२. पुष्प के माध्यम से कवयित्री महादेवी वर्मा ने संसार की किस रीति पर व्यंग्य किया है?
विनय और भक्ति
कवि - सूरदास
कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सूरदास का नाम सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास हिन्दी साहित्य में भक्ति काल के सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण-भक्ति उपशाखा के महान कवि हैं।
सूरदास का जन्म १४७८ ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।
सूर ने वात्सल्य, श्रृंगार और शांत रसों को मुख्य रूप से अपनाया है। सूर ने अपनी कल्पना और प्रतिभा के सहारे कृष्ण के बाल्य-रूप का अति सुंदर, सरस, सजीव और मनोवैज्ञानिक वर्णन किया है। बालकों की चपलता, स्पर्धा, अभिलाषा, आकांक्षा का वर्णन करने में विश्व व्यापी बाल-स्वरूप का चित्रण किया है।
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं -
१ सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
२ सूरसारावली
३ साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
४ नल-दमयन्ती
५ ब्याहलो
कठिन शब्दार्थ
बंदौं - वंदना करना
हरिराई - प्रभु
गिरि - पर्वत
मूक - गूंगा
धराई - रखकर
अविगत - जिसको जाना न जा सके
अन्तरगत - मन ही मन
तोष - संतोष
अगम - जहाँ जाया न जा सके
अगोचर - इन्द्रियों की पहुँच से परे
निरालंब - आत्मनिर्भर
तातें - उसी के कारण
अनत - और जगह
ध्यावै - ध्यान करना
पियासौ - प्यासा
कूप - कुआँ
करील - एक प्रकार की झाड़ी जिसका फल स्वादिष्ट नहीं होता
कामधेनु - इच्छाओं को पूरी करने वाली गाय
छेरी - बकरी
प्रश्न
१.सगुण और निर्गुण भक्ति में क्या अंतर है? भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से
कौन-कौन से असंभव कार्य हो जाते हैं?
२.सूरदास का मन भगवान श्रीकृष्ण के चरण को छोड़कर अन्य किसी जगह सुख नहीं पा सकता-कवि ने यह बात किन-किन उदाहरणों द्वारा सिद्ध की है?
कवि - सोहनलाल द्विवेदी
22 फरवरी सन् 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कानपुर के पास बिंदकी नामक स्थान पर जन्मे सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत् की अमूल्य निधि हैं। आपने हिन्दी में एम.ए. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में आपका स्थान महत्त्वपूर्ण है। महात्मा गांधी पर आपने कई भावपूर्ण रचनाएँ लिखी हैं, जो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं।
सन् 1938 से 1942 तक आपने दैनिक राष्ट्रीय पत्र " अधिकार" का लखनऊ से सम्पादन किया।
“गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने 76 सत्याग्रही कार्य कर्त्ताओं के साथ साबरमती आश्रम से 200 मील दूर दांडी मार्च किया था। उस यात्रा पर अंग्रेजी सत्ता को ललकारते हुए सोहनलाल जी ने कहा था -”या तो भारत होगा स्वतंत्र, कुछ दिवस रात के प्रहरों पर या शव बनकर लहरेगा शरीर, मेरा समुद्र की लहरों पर, हे शहीद, उठने दे अपना फूलों भरा जनाजा।”
आपकी रचनाएँ ओजपूर्ण एवं राष्ट्रीयता की परिचायक है। गांधीवाद को अभिव्यक्ति देने के लिए आपने युगावतार, गांधी, खादी गीत, गाँवों में किसान, दांडीयात्रा, त्रिपुरी कांग्रेस, बढ़ो अभय जय जय जय, राष्ट्रीय निशान आदि शीर्ष से लोकप्रिय रचनाओं का सृजन किया है।
आपके द्वारा लिखीं गई शिशुभारती, बच्चों के बापू, बिगुल, बाँसुरी और झरना, दूध बतासा जैसी दर्जनों रचनाएँ बच्चों को आकर्षित करती हैं।
प्रमुख रचनाएँ : भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, प्रभाती, युगाधार, कुणाल, चेतना, बाँसुरी, तथा बच्चों के लिए दूधबतासा।
शब्दार्थ
बैरागन - संन्यासिनी
बीहड़ वन - सुनसान जंगल
उदभ्रांत - विकल, पागल
नीरव - शांत
लवलीन - मगन
निहाल - धन्य
रणगान - युद्ध का गीत
बाँकुरे - वीर
आतुर - उतावले
उमंग - जोश
प्रश्नोत्तर
१.भारतीय इतिहास में हल्दीघाटी क्यों प्रसिद्ध है? कवि ने हल्दीघाटी का गुणगान किन शब्दों में किया है?
२.माई का लाल किसे कहा गया है? संक्षिप्त परिचय देते हुए कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
मौन निमंत्रण
कवि - सुमित्रानंदन पंत
कवि परिचय
पंत का जन्म अल्मोड़ा ज़िले के कौसानी नामक ग्राम में २० मई १९०० ई. को हुआ। जन्म के छह घंटे बाद ही उनकी माँ का निधन हो गया। उनका लालन-पालन उनकी दादी ने किया। उनका प्रारंभिक नाम गुसाई दत्त रखा गया। वे सात भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई। १९१८ में वे अपने मँझले भाई के साथ काशी आ गए और क्वींस कॉलेज में पढ़ने लगे। वहाँ से माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण कर वे इलाहाबाद चले गए। उन्हें अपना नाम पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने अपना नया नाम सुमित्रानंदन पंत रख लिया। यहाँ म्योर कॉलेज में उन्होंने बारवीं में प्रवेश लिया। १९२१ में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के भारतीयों से अंग्रेजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, न्यायालयों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करने के आह्वान पर उन्होंने महाविद्यालय छोड़ दिया और घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, बँगला और अंग्रेजी भाषा-साहित्य का अध्ययन करने लगे।इलाहाबाद में वे कचहरी के पास प्रकृति सौंदर्य से सजे हुए एक सरकारी बंगले में रहते थे। उन्होंने इलाहाबाद आकाशवाणी के शुरुआती दिनों में सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। उन्हें मधुमेह हो गया था। उनकी मृत्यु २८ दिसंबर १९७७ को हुई।
पंत जी प्रकृति और सौन्दर्य के कवि हैं। पंत जी पर मार्क्सवाद और अरविन्द के दार्शनिक विचारों का भी प्रभाव पड़ा।
पंत जी की भाषा अत्यंत सहज तथा भावप्रधान है जिसमें संस्कृत के शब्दों की अधिकता है।
प्रमुख रचनाएँ - वीणा, पल्लव, ग्रन्थि, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण-किरण, युगपथ, उत्तरा,कला और बूढ़ा चाँद( साहित्य अकादमी), चिदंबरा (ज्ञानपीठ पुरस्कार) आदि।
शब्दार्थ
ज्योत्स्ना - चाँदनी
नक्षत्र - तारों का समूह
तमसाकार - अंधकार के रूप में
प्रखर - तेज
तड़ित - बिजली
वसुधा - पृथ्वी
मृदु - कोमल
उद्गार - मन के भाव
क्षुब्ध - उत्तेजित
वात - हवा
श्री - शोभा
बोर - डुबाना
अलस पलक - आलस्य से भरी पलकें
तुमुल - घनघोर गर्जन
मधुपों - भौरों
गुरुतर - भारी
श्रमित - मेहनत से थका हुआ
सहचर - साथी
अहे - अरे
प्रश्नोत्तर
१.कवि को प्रकृति के किन उपादनों और गतिविधियों में किसका आमंत्रण
सुनाई देता है। समझाकर लिखिए।
२."मौन निमंत्रण" कविता का प्रतिपाद्य लिखते हुए कविता का उद्देश्य
लिखिए।
तूफ़ानों की ओर
शिवमंगल सिंह " सुमन"
कवि परिचय
उन्हें सन् १९९९ में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। 'सुमन' जी ने छात्र जीवन से ही काव्य रचना प्रारम्भ कर दी थी और वे लोकप्रिय हो चले थे। उन पर साम्यवाद का प्रभाव है, इसलिए वे वर्गहीन समाज की कामना करते हैं। पूँजीपति शोषण के प्रति उनके मन में तीव्र आक्रोश है। उनमें राष्ट्रीयता और देशप्रेम का स्वर भी मिलता है।
इनकी भाषा में तत्सम शब्दों के साथ-साथ अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों की भी प्रचुरता है।
प्रमुख रचनाएँ - हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय सृजन, मिट्टी की बारात, विश्वास बढ़ता ही गया, पर आँखें नहीं भरी आदि।
शब्दार्थ
विष - ज़हर
पतवार - चप्पू
अंधड़ - आँधी
माँझी - नाविक
स्पंदन - धड़कन
प्रश्न-
‘ तूफ़ानों की ओर ’ कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए कि मनुष्य सामर्थ्यवान है और वह तरह की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम है।
ओ नभ में मँडराते बादल
रामेश्वर शुक्ल "अंचल"
कवि परिचय
इन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि समस्त साहित्यिक विधाओं में लेखन-कार्य किया है।
इनकी रचनाओं में जीवन की अनुभूति, यथार्थ तथा भौतिकता के दर्शन होते हैं। अंचल जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की दयनीय दशा का मार्मिक किन्तु यथार्थपरक चित्रण किया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में शोषित-वर्ग के कष्टमय जीवन को शब्दों के द्वारा उकेरने का सफल प्रयास किया है।
अंचल जी की भाषा सहज, भावपूर्ण तथा ग्राह्य है।
प्रमुख रचनाएँ -
काँटे मत बोओ
पावस गान
फिर तुम्हारे द्वार पर
मत टूटो
ले चलो नौका अतल में
मधूलिका
अपराजिता
किरण-बेला
लाल चूनर
विराम चिह्न
अनुपूर्वा
यायावरी
शब्दार्थ
बिसरी - भूली हुई
पुरवा - पूर्व दिशा से बहने वाली हवा
आतुरता - व्याकुलता
उमगा - जगा
कज्जल - काजल के समान
धूम शिखा - घुएँ की रेखा
प्रखर पिपासा - तेज प्यास
आतप - तपते हुए
दग्ध - जलते हुए
कगार - किनारा
पावस - वर्षा
उन्मादक - पागल बना देने वाला
निदाघ - गर्मी
हेर रहे - देख रहे
बान - आदत
प्रश्न
"ओ नभ में मँडराते बादल" कविता का प्रतिपाद्य लिखते हुए बताइए कि वर्षा के अभाव में मानव-जीवन को तथा प्रकृति को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है ?
इनसान बनकर आ रहा सवेरा है
कवि - गिरिजा कुमार माथुर
कवि परिचय
गिरिजा कुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता देवीचरण माथुर स्कूल अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। सितार बजाने में प्रवीण थे। माता लक्ष्मीदेवी मालवा की रहने वाली थीं । गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने उन्हें घर पर ही अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल आदि पढाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद १९३६ में स्नातक उपाधि के लिए ग्वालियर चले गये। १९३८ में उन्होंने बी.ए. किया, १९४१ में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में उनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ।वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और १९४१ में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने निराला से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन १९४३ में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। उनके द्वारा रचित मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, पृथ्वीकल्प, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।[2]
१९९१ में आपको कविता-संग्रह "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य-यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
गिरिजा कुमार माथुर ने सहज खड़ी बोली का साहित्यिक प्रयोग किया।
शब्दार्थ
बिराने - बेगाने
अर्ध - आधा
वर्तिका - बाती
वनखंड - वन प्रदेश, जंगल
झंझापथ - तूफ़ान का रास्ता
पद - पैर
मद्धिम - मन्द
प्रश्न-
"इनसान बनकर आ रहा सवेरा है" कविता के माध्यम से कवि ने मानव के लिए क्या संदेश संप्रेषित किया है ? समझाकर लिखिए।
सच्ची मित्रता
कवि - तुलसीदास
कवि परिचय
हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। तुलसीदास के जन्म और मृत्यु के विषय में विद्वानों में
मतभेद है। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िले के राजापुर नामक गाँव में सन् 1532 में हुआ था।
गुरु नरहरिदास इनके गुरु थे। तुलसीदास ने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने राम कथा पर आधारित विश्व-प्रसिद्ध महाकाव्य " रामचरितमानस" की रचना की। तुलसीदास राम के अनन्य भक्त थे।
तुलसीदास ने ब्रज और अवधि दोनों भाषा में समान रूप से लिखा। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के द्वारा आदर्श समाज की स्थापना पर जोर दिया जिसमें न्याय, धर्म, सहानुभूति, प्रेम और दया जैसे मानवीय गुणों पर विशेष ध्यान दिया है।
प्रमुख रचनाएँ - गीतावली, कवितावली, दोहावली, पार्वती मंगल, हनुमान बाहुक आदि।
शब्दार्थ
जे - जो
दुखारी - दुखी
तिन्हहि - उन्हें
बिलोकत - देखने से
मेरु - सुमेरु ( एक बड़ा पर्वत)
असि - ऐसी
सठ - मूर्ख
दुरावा - छुपाना
धरई - रखना, धारण करना
अनहित - बुराई
अहि - साँप
नृप - राजा
कुनारी - बुरी स्त्री
सूल - काँटा
कपटी - धोखेबाज
प्रश्न
१."सच्ची मित्रता" कविता के आधार पर अच्छे और बुरे मित्र के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
मैं हूँ उनके साथ
कवि - हरिवंशराय बच्चन
कवि परिचय
बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के नज़दीक प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनको बाल्यकाल में बच्चन कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है । उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी. पूरी की।
१९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय १४ वर्ष की थी । लेकिन १९३६ में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई । पांच साल बाद १९४१ में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं । इसी समय उन्होंने नीड़ का पुनर्निर्माण जैसे कविताओं की रचना की ।
- कार्यक्षेत्र : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में अग्रणी हें।
प्रमुख रचनाएँ -
शब्दार्थ
तजना - छोड़ना, त्यागना
नवाकर - झुकाकर
उद्गार - मन के विचार
जिह्वा - जीभ
आततायियों - अत्याचारियों
शमशीर - तलवार
बेड़ी - जंजीर
लूका- मशाल
उदधि - समुद्र, सागर
तीर - किनारा
प्रश्न
१."मैं हूँ उनके साथ" कविता में कवि किन मनुष्यों के साथ खड़ा रहना चाहता है और क्यों ?समझाकर लिखिए।
दोहा - एकादश
कवि - अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना
कवि-परिचय
अबदुर्ररहीम खानखाना का जन्म संवत् १६१३ ई. ( सन् १५५३ ) में इतिहास प्रसिद्ध बैरम खाँ के घर लाहौर में हुआ था। बैरम खाँ के घर पुत्र की उत्पति की खबर सुनकर हुमायूँ वहाँ गये और उस बच्चे का नाम “रहीम’ रखा।
रहीम भक्तिकाल के कवि थे। रहीम का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि एवं विद्वान थे। वे सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति उदार दृष्टिकोण था।
रहीम ने ब्रज और अवधी दोनों भाषाओं में रचना की। उनकी रचनाओं में नीति, भक्ति, ज्ञान, प्रेम आदि समस्त भावों की अभिव्यक्ति हुई है।
प्रमुख रचनाएँ - बरवै नायिका भेद वर्णन, श्रृंगार सोरठा, रहीम सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी।
कठिन शब्दार्थ
नीचन - नीच व्यक्ति
कहि - किसे
कलारिन - शराब बेचने वाली
बिरवा - पौधा
विषान - सींग
पावस - बरसात
दादुर - मेंढक
अघाय - तृप्त होना, संतुष्ट होना
परचै - परिचय, पहचान
मलयागिरि - मलय नामक पर्वत जो दक्षिण में स्थित है
खैर - कुशलता
ओछो - घटिया व्यक्ति
फ़रजी - वज़ीर (शतरंज का एक मोहरा)
भयौ - होना
प्रश्न
१. रहीम ने अपने दोहों में जीवन के व्यावहारिक बातों का उल्लेख किया है। पठित दोहों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
साखी
कवि-कबीरदास
कवि-परिचय
कबीरदास भक्तिकाल की निर्गुण धारा के प्रमुख कवि हैं। इन्होंने स्वामी रामानंद से दीक्षा ली। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे किन्तु एक दार्शनिक संत थे। कबीर निराकार ब्रह्म के उपासक थे। उन्होंने मूर्ति-पूजा, कर्मकांड तथा बाहरी आडंबरों का खुलकर विरोध किया। कबीरदास ने हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य पर जोर दिया।
कबीरदास ने गुरुमहिमा, सत्संग, सदाचार आदि पर बल दिया।
कबीर की भाषा में अरबी, फारसी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी आदि का मिश्रण है, इसलिए इनकी भाषा को सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी भाषा भी कहा जाता है।
कबीर की वाणी का संग्रह बीजक नाम से प्रसिद्ध है,जिनके तीन भाग हैं-साखी,सबद और रमैनी।
शब्दार्थ
सतगुरु - सच्चा गुरु
लोचन - आँख
उघारिया - खोलकर
भ्रमि-भ्रमि - चारों ओर घूमकर
उबरंत - मुक्ति पाना
सुरै - शराब
मूंडै - काटना
विकार - दोष, बुराई
सुभाइ - स्वभाव
बिलाई - विलीन हो गया
पौन - प्राण
हिय - हृदय
चिक - परदा
रिझाय - खुश करना
प्रश्न
१.कबीरदास ने अपने दोहों के द्वारा गुरु की महिमा, साधु के लक्षण और व्यावहारिक विषयों पर विचार व्यक्त किए हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
२.कबीरदास के काव्य का विषय क्या है? उन्होंने अपने दोहों में क्या संदेश दिया है? पठित दोहों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
प्रियतम
कवि - सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
कवि-परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" हिन्दी साहित्य के छायावादी काव्यधारा के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्हें बंगला, अंग्रेजी, संस्कृत और हिन्दी का अच्छा ज्ञान था। इनकी रचनाओं में मजदूर तथा पीड़ित वर्ग के संघर्ष का व्यापक तथा यथार्थ चित्रण किया गया है तथा शोषक-वर्ग के प्रति विद्रोह का स्वर मुखर किया। निराला ने मुक्त छंद की शुरुआत की।
1922 में "समन्वय" तथा 1923-24 में "मतवाला" का संपादन किया।
इनकी कविताओं में मानवीय-मूल्यों की अभिव्यक्ति हुई है।
इनकी भाषा सहज, प्रभावमयी, ओजपूर्ण है जिसमें संस्कृत के शब्दों का व्यापक प्रयोग किया गया है।
प्रमुख रचनाएँ - जूही की कली, परिमल, गीतिका, अनामिका, राम की शक्ति पूजा, अपरा, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अप्सरा, नए पत्ते, अलका, भिक्षुक आदि।
शब्दार्थ
मृत्युलोक - पृथ्वी
पुण्यश्लोक - जिसका जीवन पवित्र और शिक्षाप्रद हो
विवाद - बहस
प्रदक्षिणा करना - चक्कर लगाना
धृत लक्ष्य - लक्ष्य को धारण करके
योगिराज - महान योगी, तपस्वी
बैकुंठ - स्वर्ग लोक
इष्ट - चाहा हुआ, प्रिय, पूजित
प्रश्न
१.जीवन की सफलता कर्म में निहित है-"प्रियतम" कविता के आधार पर स्पष्ट करते हुए प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
२."प्रियतम" कविता का प्रतिपाद्य लिखते हुए कविता का संदेश लिखिए।
भारत महिमा
कवि - जयशंकर प्रसाद
कवि-परिचय
जयशंकर प्रसाद हिन्दी के प्रमुख छायावादी कवि हैं।इन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति के प्राचीन गौरवशाली इतिहास को साहित्यिक रूप में प्रस्तुत किया है।इसके अलावा इनकी कविताओं में प्रकृति-चित्रण, प्रेम-सौन्दर्य तथा मानवीय-मूल्यों की भी सफल अभिव्यक्ति हुई है। प्रसाद जी ने नारी के प्रति अत्यंत सम्मान व्यक्त किया है।
प्रसाद जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है जिसमें सहजता और सरसता विद्यमान है।
प्रमुख रचनाएँ - झरना, लहर, कामायनी, कुसुम, आँसू (कविता)
चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, अजातशत्रु (नाटक)
तितली, कंकाल (उपन्यास)
आकाशदीप, इन्द्रजाल (कहानी)
शब्दार्थ
हीरक हार - हीरों का हार
व्योम - आकाश
पुंज - समूह
संसृति - संसार
विमल - पवित्र
वाणी - सरस्वती
सप्त सिंधु - सात नदियाँ-सिंधु,रावी, सतलुज,झेलम,सरस्वती,चेनाब
तथा व्यास।
वरुण पथ - जल मार्ग
पुरन्दर - इन्द्र
अस्थियुग - पाषाण युग
रत्नाकर - समुद्र
रत्न - बौद्ध धर्म -बुद्ध, संघ और धर्म
शील - अस्तेय,अहिंसा, मादक पदार्थों का त्याग, सत्य तथा ब्रह्मचर्य
टेव - आदत
सिंहल - श्रीलंका
प्रश्न
१."भारत महिमा" कविता में कवि ने भारत की किन विशेषताओं का वर्णन किया है? इस कविता द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया है।
२.दधीचि, बुद्ध और मनु का संक्षिप्त परिचय देते हुए " भारत महिमा" कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
विश्वराज्य
कवि - मैथिलीशरण गुप्त
कवि-परिचय
हिन्दी साहित्य के प्रखर नक्षत्र मैथिलीशरण गुप्त का जन्म ३ अगस्त सन १८८६ ई. में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता कौशिल्या बाई की तीसरी संतान के रुप में चिरगांव, झांसी में हुआ। इनके पिता सेठ रामचरण कवि थे। इनकी आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने संस्कृत, हिन्दी और बंगला के साहित्य का अध्ययन किया।
श्री पं महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया।
वे राष्ट्रपिता गांधी जी के निकट सम्पर्क में आये। 'यशोधरा' सन् १९३२ ई. में लिखी। गांधी जी ने उन्हें "राष्टकवि" की संज्ञा प्रदान की। सन् १९४१ ई. में व्यक्तिगत सत्याग्रह के अंतर्गत जेल गये। आगरा विश्वविद्यालय से उन्हें डी.लिट. से सम्मानित किया गया। १९५२-१९६४ तक राज्य सभा के सदस्य मनोनीत हुये। सन् १९५३ ई. में भारत सरकार ने उन्हें "पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। दिसम्बर,१९६४ में इनका निधन हो गया।
गुप जी मूलत: भारतीय संस्कृति के कवि हैं। भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल आदर्श और काव्य परम्पराएँ ही गुप्त जी के काव्य की विशेषताएँ हैं।
प्रमुख रचनाएँ - जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, जय भारत, साकेत, कुणाल, यशोधरा, मेघनाथ वध
कठिन शब्दार्थ
विस्तार - फैलाव
अनल - आग
सलिल - पानी
अनिल संचार - वायु का बहना
व्योम - आकाश
सोम - चन्द्रमा
अगणित - असंख्य
ठौर - जगह
समशीतोष्ण - एक समान ठंडा और गर्म
विग्रह - अलग करना
परिहार - बचाव, समाधान
परित्राण - रक्षा
क्षत - घाव
प्रश्नोत्तर
१.’विश्वराज्य’ कविता में कवि ने पाठकों को क्या संदेश दिया है? स्पष्ट कीजिए।
२.’विश्वराज्य’ कविता के आधार पर बताइए कि संसार में फैले हुए मतभेदों का क्या कारण है और इसका उपाय कैसे किया जा सकता है?
३.विश्वराज्य और लोकतंत्र का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कविता का सारांश लिखिए।
सुमन के प्रति
कवयित्री - महादेवी वर्मा
कवयित्री परिचय
महादेवी वर्मा प्रमुख छायावादी कवयित्री हैं जिन्होंने कविता और गद्य साहित्य दोनों क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा से यश अर्जित किया। प्रयाग विश्वविद्यालय से इन्होंने संस्कृत में एम.ए.किया। इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में आचार्या के पर पर लम्बे समय तक कार्य किया। इन्हें पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित भी किया गया है।
महादेवी जी की कविताओं में रहस्यवाद की झलक भी मिलती है। महादेवी जी के गीतों में विरह-वेदना और करुणा की अभिव्यक्ति हुई है। इनका काव्य प्रेम का काव्य है। महादेवी को आधुनिक युग का मीरा भी कहा जाता है।
प्रमुख रचनाएँ - नीहार, रश्मि, दीपशिखा, यामा ( काव्य ) पथ के साथी, मेरा परिवार, अतीत के चलचित्र(गद्य)
शब्दार्थ
शैशव - बचपन
अंक - गोद
मंजुल - सुन्दर
लुब्ध - ललचाया हुआ
स्निग्ध - कोमल
मधुप - भँवरा
मुख मंजु - चेहरे की सुन्दरता
करतार - ईश्वर
निस्सार - महत्त्वहीन
प्रश्न
१."सुमन के प्रति" किसकी रचना है? कविता में विकसित फूल और मुरझाए फूल में क्या अंतर दिखाया गया है? फूल के माध्यम से क्या भाव व्यक्त किया गया है?
२. पुष्प के माध्यम से कवयित्री महादेवी वर्मा ने संसार की किस रीति पर व्यंग्य किया है?
विनय और भक्ति
कवि - सूरदास
कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सूरदास का नाम सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। सूरदास हिन्दी साहित्य में भक्ति काल के सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण-भक्ति उपशाखा के महान कवि हैं।
सूरदास का जन्म १४७८ ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।
सूर ने वात्सल्य, श्रृंगार और शांत रसों को मुख्य रूप से अपनाया है। सूर ने अपनी कल्पना और प्रतिभा के सहारे कृष्ण के बाल्य-रूप का अति सुंदर, सरस, सजीव और मनोवैज्ञानिक वर्णन किया है। बालकों की चपलता, स्पर्धा, अभिलाषा, आकांक्षा का वर्णन करने में विश्व व्यापी बाल-स्वरूप का चित्रण किया है।
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं -
१ सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
२ सूरसारावली
३ साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
४ नल-दमयन्ती
५ ब्याहलो
कठिन शब्दार्थ
बंदौं - वंदना करना
हरिराई - प्रभु
गिरि - पर्वत
मूक - गूंगा
धराई - रखकर
अविगत - जिसको जाना न जा सके
अन्तरगत - मन ही मन
तोष - संतोष
अगम - जहाँ जाया न जा सके
अगोचर - इन्द्रियों की पहुँच से परे
निरालंब - आत्मनिर्भर
तातें - उसी के कारण
अनत - और जगह
ध्यावै - ध्यान करना
पियासौ - प्यासा
कूप - कुआँ
करील - एक प्रकार की झाड़ी जिसका फल स्वादिष्ट नहीं होता
कामधेनु - इच्छाओं को पूरी करने वाली गाय
छेरी - बकरी
प्रश्न
१.सगुण और निर्गुण भक्ति में क्या अंतर है? भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से
कौन-कौन से असंभव कार्य हो जाते हैं?
२.सूरदास का मन भगवान श्रीकृष्ण के चरण को छोड़कर अन्य किसी जगह सुख नहीं पा सकता-कवि ने यह बात किन-किन उदाहरणों द्वारा सिद्ध की है?